२ अप्रैल, १९५८

 

          मां, आपने कहा था कि जब कोई जान-बूझकर भूल करता है तो वह अनजानेमें की गयी भूलसे कहीं अधिक गंभीर होती ह ।

 

 जब तुम अज्ञानवश कोई गलत काम करते हों, क्योंकि तुम नहीं जानते कि यह गलत है, तो यह स्पाइट है कि, जब तुम यह जान जाते हो कि यह गलत है, जब अज्ञान दूर हो जाय और तुम्हारे अंदर: सदिच्छा हो तो तुम वह भूल फिर नही करते, और उस अवस्थासे निकल आते हो जिसमें तुम वह भूल कर सकते थे । पर यदि तुम्हें मालूम है कि यह भूल है और तुम उ-से करते हो तो इसका अर्थ यह है कि तुममें कहीं विकृति है जिसने स्वेच्छासे अवस्थाका, या दुर्भावनाका, या यहांतक कि भगवद्विरोधी शक्तियोंका पक्ष चूना है ।

 

और यह तो स्पष्ट है कि जब कोई भगवद्विरोधी शक्तियोंके पक्षको चुनता है या इतना दुर्बल और चंचल है कि उनके साथ रहनेके प्रलोमनका प्रति-

रोध नहीं कर सकता, तो यह मनोवैज्ञानिक दृष्टिसे अनन्तगुना संगीन है । इसका अर्थ है कि कहीं कुछ दूषित है! या कोई आसुरिक शक्ति पहलेसे ही तुमपर हावी है, या कम-से-कम उन शक्तियोंके प्रति तुममें सहज सहानुभूति है । और अशानकी अपेक्षा इसे ठीक राहपर लाना कही अधिक कठिन है।

 

        अज्ञानको सुधारना अंधकारपर विजय पानेकी तरह है : तुम एक दीप जला लो और अन्धकार लुप्त हो जायगा । पर यह जानते हुए कि यह भूल है, किसी भूलको दुबारा करना ऐसा ही है जैसा कि प्रकाशके होते हुए उसे स्वेच्छासे बुझा देना:.. । यह तो बिलकुल स्वेच्छासे अंधकारको वापिस लाने जैसी बात हुई । क्योंकि दुर्बलताकी दलील लागू नह) होती । भागवत कृपा सदा उनकी सहायताको प्रस्तुत रहती है जो अपने-आपको सुधारना चाहते हैं, वे यह नहीं कह सकते : ''अपने-आपको सुधारनेके लिये मैं अत्यंत दुर्बल हू ।', मैं कह सकते है कि अभी उन्होंनें स्वयंको सुधारने- का संकल्प नहीं लिया है, सतामें कहीं ऐसा कुछ है जिसने ऐसा करनेक।. निश्चय नहीं किया है, यही चीज गंभीर है ।

 

         दुर्बलताकी दलील तो एक बहाना है । जिसने भी संकल्प किया है उसे चरम शक्ति देनेके लिये भागवत कृपा प्रस्तुत है ।

 

        इसका मतलब है कपट, इसका मतलब दुर्बलता नहीं है । और कपट सदा ही शत्रुके लिये खुला द्वार होता है! अर्थात्, जो विकृत है उसके सान कुछ गुप्त सहानुभूति है । यही अवस्था गंभीर है !

 

        अज्ञानको तिरोहित करनेके लिये, जैसा कि मैं कह चुकी हू, दीप जलाना. ही काफी है । भूलोंकी सचेतन पुनरावृत्तिमें आवश्यक है चरका देना ।

 

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